Tanaji Malusare History In Hindi। तानाजी मालुसरे का इतिहास हिंदी में

ये उस रण की कहानी है जिसके रणनायक तानाजी मालुसरे ने बहादुरी के साथ लढते  हुए  सिंहगढ़ का क़िला तो  जीत लिया था लेकिन ये करते करते उनकी मौत हो गई. तानाजी मालुसरे यह शिवाजी के शासन काल के एक शुर वीर योद्धा थे जिनपर शिवाजी महाराज आख बंद कर भरोसा करते थे. यह कहने में कोए बुराई नही की तानाजी शिवाजी के लिए उनकी ढाल बनके खड़े रहते थे. ऐसे में  वीर Tanaji Malusare History In Hindi  की जानकारी होना एक भारतीय होने के नाते गर्व की बात होगी. 

शुर तानाजी का परिचय


पूरा नाम             :-  तानाजी मालुसरे

प्रसिद्धि               :- सिह्गड़ ( कोंधाना किल्ला का दर्दनाक युद्ध ) 

जन्म                   :-  १६००  (गोदोली गाव ) महाराष्ट्र 

पिता का नाम     :- सरदार कलोजी 

माता का नाम     :- पारवती बाई 

मृत्यु                  :- १६७०

पत्नीं का नाम     :- सावित्री

तानाजी के बेटे का नाम : रायबा  ( आधी लग्न कोंधान्याचे मग माझ्या रायबाचे )

तानाजी का बचपन

सतारा जिल्हा के गोदोली गाव में एक हिन्दू घर में  शुर तानाजी मालुसरे का जन्म हुआ, इन्हे बचपन से ही तलवारबाजी का शोक था । यही कारन से उनकी मित्रता शाहजी पुत्र शिवाजी से हुई। आइये जानते है Tanaji Malusare History In Hindi के बारे में 

तानाजी मालुसरे कौन थे। Who is Tanaji Malusare

तानाजी मालुसरे येह शिवाजी महाराज के विश्वासु सेनापति और खास मित्र थे। एक ऐसा सिपाही जो राजा के बहुत करीब था, जो किसी भी लढाई के लिए हमेश तत्पर रहता था। आपकी जानकारी के लिए बता दे  सेनापति तानाजी मालुसरे ने  कोंधाना किल्ला जितने में आपनी जान ग्व्हा दी थी। यह बात आज भी इतिहास के पन्नो में पढने को मिलती है। शिवाजी महाराज की तरह उनका भी लक्ष था प्रजा और राजा की रक्षण तथा सेवा करना। 

तानाजी का फैसला ।Tanaji Malusare History In Hindi

तानाजी मालुसरे के पुत्र ( रायबा ) के विवाह की तैयारियां चल रही थीं. चारो ओर ख़ुशी  का वातावरण था । वे शिवाजी महाराज और उनके परिवार को शादी में आने का न्योता देने गए थे तभी उनको पता चला कि शिवाजी महाराज कोंधाना किल्ला जो कि सिंहगढ किल्ले के नाम से जाना जाता है, वो  मुगलों से वापिस पाना चाहते हैं. । तभी तानाजी फैसला करते है की , पहले कोंधाना जीतेंगे फिर रायबा की शादी होगी (आधी लग्न कोंधान्याचे मग माझ्या रायबाचे ) 

तानाजी मालुसरे कोंधाना युद्ध । सिह्गड़ की लढाई 1670 । Battle of Kondhana  


कोंधाना किल्ले की  बनावट कुछ इस तरह की थी इसपर हमला करना आसन नही था। उस समय किल्ले पर मौजूद और्रंजेब  का सेनापति उदैभान राठोड के साथ   5000  मुघल सैनिकों का पहरा था। उदैभान एक हिन्दू शासक था लेकिन लालच की वजेहसे वो मुघलो के साथ था। 

तानाजी अपने 340 सैन्यो की टुकड़ी लेकर किल्ले को फतेह करने आगे बढे । घोरपड की मदद से उन्हें किल्ले पर चढाई करने में आसानी हुई , पूरी योजना के साथ मराठा सैन्य युद्ध करते हुए आगे बढ़ रहे थे, वे कल्याण दरवाजा से किल्ले में प्रवेश कर गये। इस लढाई में काफी जीवित हनी हुई। इसी समय युद्ध करते हुए तानाजी की ढाल के दो टुकड़े हुए और उनका बाया हाथ उदैभान राठोड की तलवार से कट गया , लेकिन तानाजी क हाथ कटने के बावजूद भी वे शुर मराठा लढता रहा और आखिर में उदैभान का अंत किया.

तानाजी की शिवाजी के साथ आखरी मुलाखत  

युद्ध में शुर तानाजी बुरी तरह से घायल हुए थे ,तभी कोंधाना किल्ले पर शिवाजी महाराज पहुचे और उनकी तानाजी के साथ आखरी मुलाखत होती है  और उसी क्षण तानाजी की किल्ले पर मृत्य हो जाती है  , शिवाजी महाराज   के आँखों में दुःख के आसू आते है, तभी उन्ह्के मूह से शब्द निकले "गढ़ आला पन सिह गेला". इसका मतलब होता है कोंधाना किल्ला तो जित लिया लेकिन शुर तानाजी जैसा मराठा छोड़कर चला गया 

वीर तानाजी के याद में स्मारक     

मुघलो की अधीनता से कोंधाना मुक्त करने के बाद शिवाजी ने कोंधाना किल्ले का नाम बदलकर आपनी मित्रता की याद  में सिह्गड़ रखदिया । तानाजी की वीरता को देखते हुए शिवाजी महाराज ने उनकी यद् में कई स्मारक स्थापित किये 

भारत सरकार ने भी तानाजी मालुसरे का सन्मान करते हुए सिह्गड़ किल्ले को चित्र की रूप में 150 रूपये की डाक टिकट जारी किया 

उम्मीद करता हु दोस्तों आपको "Tanaji Malusare History In Hindi। तानाजी मालुसरे का इतिहास" यह जानकारी पसंद आई होगी
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