कुंडली देखना कैसे सीखें । Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi

जन्म कुंडली आकाश का उस समय का नक्शा है जब कोई व्यक्ति पृथ्वी पर जन्म लेता है। उस समय आकाश में कौन सा ग्रह किस स्थान पर है इसका वर्णन जन्म कुंडली में होता है जन्म कुंडली में नौ ग्रह और 12 रशिया मनुष्य जीवन को प्रभावित करते हैं। तारा समूह का सीधा प्रभाव राशियों पर पड़ता है। जो नैसर्गिक गुण तारा समूह के होते वे सारे गुण उन व्यक्तियों में पाए जाते हैं । जन्म कुंडली देखना कैसे सीखें, जन्म कुंडली को कैसे पढ़े, जन्म कुंडली कैसे निकली जाती है आदि  यह प्रकार के सवाल  अक्सर लोगों के मन में आते है  ताकि उन्हें अपने जीवन के भविष्य के बारे में जानने में मदद मिले और वे जीवन में सुख- संपत्ति प्राप्त कर सके आज इस पोस्ट के माध्यम से हम आपको कुंडली देखना तथा कुंडली को कैसे पहचानना सिखायेंगे


कुंडली देखना कैसे सीखें । Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi
कुंडली  पढना सीखे हिंदी में  


    जन्म कुंडली क्या है ? 

    जन्मकुंडली एक मनुष्य जीवन की  जन्मपत्रिका है जो व्यक्ति  के निर्धारित जन्म समय पर ज्योतिष द्वारा बनाई जाती है। हिंदू धर्म में ज्योतिष और जन्मपत्रिका का बहुत महत्व है जो ऋषि मुनियों द्वारा अच्छा तमक शक्तियों के आधार पर लिखा गया वैदिक ज्ञान है। किसी व्यक्ति की कुंडली के आधार पर यह पता चलता है की जैसे जैसे ग्रहों की स्थिति, दिशाएं ,महादशाए बदलती जाती है वैसे-वैसे व्यक्ति के जीवन में परिवर्तन और बदलाव आता है। यदि आप जन्मकुंडली देखना सिख गये तो आप  स्वयंम अपनी समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। जन्मकुंडली में पाए जाने वाले ग्रह के चलते मनुष्य की प्रगति, जीवन, स्वास्थ्य, संकट, धन,  व्यवसाय आदि विषयों के बारे में जानने में मदद मिलती है। बताने का तात्पर्य यह है कि यदि जन्मकुंडली का सही गणित लगाया जाए तो व्यक्ति के आने वाले जीवन (भविष्य) का क्या लेखा-जोखा है, यह पता करने का कार्य जन्मकुंडली करती है। इस पोस्ट के माध्यम से आगे जाने कुंडली देखना कैसे सखे हिंदी में


    जन्म कुंडली देखना कैसे सीखें ?

    अक्सर लोगों में शंका और आपत्ती बढ़ जाती है उस दौरान अपने जीवन में सुधार लाने के लिए वह जन्मकुंडली का सहारा लेते हैं। इसके अलावा कुछ लोग अपना भविष्य जानने के लिए हमेशा उत्सुक रहते हैं।  परंतु जन्मकुंडली पढ़ना यह सब के लिए आसान नहीं होता।  यह ज्योतिष अभ्यास द्वारा प्राप्त किया जाता है। परंतु आज इस पोस्ट द्वारा हम आपको बताएंगे की जन्मकुंडली को कैसे पढ़ा जा सकता है। जन्म कुंडली  देखना कैसे सीखे  यह जानने के लिए आपको नौ ग्रह और 12 राशियों के बारे में जानना अधिक जरूरी है।
    तो आइये जानते है जन्म कुंडली देखना कैसे सीखे Step By Step पूरी जानकारी 


    Step 1 : निचे दिए गये टेबल के अनुसार आपनी राशी को जन्म कुंडली में दाखिल करे (चित्र देखकर समझे )

    कुंडली देखना कैसे सीखें । Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi
    कुंडली देखना कैसे सीखें । Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi


    Step 2 :
     कुंडली देखना कैसे सीखे में आगे जानिए, राशी और उनके स्वामी  की पहचान कैसे करे  

    जन्मकुंडली के राशि और उनके  गुरु के बारे में जाने

    जन्म कुंडली सिखने के लिए राशी और गुरु के बारे में जानना बेहद जरुरी है. वैदिक ज्योतिष ज्ञान के अनुसार राशि के कुल 12 प्रकार पाए जाते हैं। प्रत्येक राशि की अपनी एक विशेषता और महत्व है।  जन्म कुंडली में कुल नौ ग्रहों की संख्या होती है।  प्रत्येक राशि का एक गुरु तथा स्वामी होता है। जन्मपत्रिका में  राशिया अपने निश्चित स्थान पर होती है वे अपना स्थान परिवर्तन नहीं करती।  जैसा कि नीचे टेबल में राशि का नंबर और गुरुद्वारा वर्णन किया गया है,  इसके अलावा आप ऊपर दिए गए चित्र के माध्यम से कौन से नंबर की राशि किस घर में प्रस्थान करती है यह जानकारी देख सकते हैं। 


    Step 3 : कुंडली कैसे देखे में आगे जानिए, नाम के नुसार राशी की पहचान कैसे करे  

    जन्म नाम अक्षर के अनुसार राशि की पहचान करे 

    वैदिक ज्योतिष विज्ञान द्वारा व्यक्ति के नाम तथा जन्मनाम से राशि की पहचान की जाती है। दरअसल कई तारे और नक्षत्र मिलकर आकाश मंडल में जो आकृति बनाते हैं उसी के अनुरूप उनका नाम रखा गया है जैसे वृषभ, मिथुन कर्क, सिंह आदि अन्य। तारों की काल्पनिक रेखा को जोड़ा जाए तो कई प्रकार के विशेष आकृति बनती है जैसे बैल,  शेर,  कुंवारी कन्या, तराजू आदि अन्य कई राशि की पहचान उनके आकर के चिन्ह द्वारा होती है। आपको बता दें नाम के शुरुआती अक्षर से व्यक्ति की राशि जानी जाती है। इन अक्षरों का वर्णन नीचे टेबल द्वारा दिखाया गया है।  यह अक्षर की खोज पुरातन काल में विद्वान ज्योतिषियों द्वारा की गई है।

    जन्म कुंडली के अक्षर, राशी एव गुरु की जानकरी टेबल द्वारा   

    राशी के नाम और अंक  राशी के स्वामी (गुरु) राशी के नाम वाले शुरुवाती अक्षर
     1.     कुम्भ राशि     शनि ग्रह        गु,गे,गो,सा,सी,सु,से,सो,दा
     2.     वृषभ राशि     शुक्र ग्रह        ई,उ,ए,ओ,वा,वी,वू,वे,वो
      3.     मिथुन राशि     बुध ग्रह        क,की,कु,घ,ड,छ,के,को,ह
     4.     कर्क राशि     चन्द्रमा उपग्रह        हि,हु,हे,हो,डा,डी,डू,डे,डो
    5.     सिंह राशि     सूर्य ग्रह        मा,मी,मू,में,मो,टा,टी,टू,टे
     6.     कन्या राशि     बुध ग्रह        टो,पा,पी,पू,ष,ण,ठ,पे,पो
    7.     मेष राशि     मंगल ग्रह        चू,चे,चो,ला,ली,लू,ले,लो,अ
    8.     तुला राशि     शुक्र ग्रह        रा,री,रु,रे,रो,ता,ती,तू,ते
    9.     धनु राशि     गुरु ग्रह        ये,यो,भा,भी,भू,धा,फ,ढ,भे
     10.     मकर राशि     शनि ग्रह        भो,ज,जा,जी,जे,जो,खा,खी,खु,खे,खो,गा,गी,ज्ञ
    11.     मीन राशि     गुरु ग्रह        दी,दू,थ,झ,दे,दो,चा,चि
     12.    वृश्चिक राशि     मंगल ग्रह        तो, ती, ते, शू, ढ, ढो


    Step 4 : कुंडली देखना कैसे सीखे में आगे जानिए, कुंडली घर में राशी का प्रस्थान कैसे करे 

    जन्मकुंडली के घर को पहचाने 

    जन्म कुंडली में कुल 12 घरो की संख्या होती है इसे भाव भी कहते है। हर एक घर के कुछ सकारात्मक तो कुछ नकारात्मक बातें होती है इसके अलावा कुछ घर लाभदायक तो कुछ कर नुकसानदायक भी होते हैं। व्यक्ति के जन्म समय के अनुसार जन्म राशी को निश्चित किया जाता है जिसके बाद वह राशी किस कुंडली के किस घर में प्रवेश करेगी यह देखा जाता है. जन्मकुंडली के घर से मनुष्य की विभिन्न विशेषताओं के बारे में जानने में मदद मिलती है। तो आइए जानते हैं  कुंडली में पाए जाने वाले 12 घरों की तथा 12 भाव की पूरी जानकारी  विस्तार में जिसे देखकर आप कुंडली देखना सिख जाओगे

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    कुंडली कैसे देखे हिंदी जानकारी 

    Step 5 : कुंडली देखना कैसे सीखे में आगे जानिए, कुंडली घर के अनुसार अपने भविष्य को कैसे देखे 

    • पहला घर (भाव 1)

    जन्म कुंडली का पहला घर मनुष्य के रंग, रूप, आकार, चरित्र और स्वभाव इन सारी विशेषताओं के बारे में जानकारी देता है  इस घर को First House भी  कहते हैं। इस घर में जन्म लेने वाले व्यक्ति को बताई गे सारी विशेषताए प्राप्त होगी।


    • दूसरा घर (भाव 2)

    जन्म कुंडली का दूसरा घर आपको अपने कुटुंब, परिवार,  रिश्तेदार ,  समाज इसके अलावा मनुष्य की वाणी तथा आप किस तरह की भाषा शैली का प्रयोग करंगे, वाणी की मधुरता तथा कठोरता  आधी विशेषताओं के बारे में जानने में मदद करता है।  और साथ ही साथ यह घर अधिक लाभदायक होता है आपका धन योग,  बैंक बैलेंस,  जमा राशि आदि विशेषताओं के बारे में जानने में मदद करता है


    • तिसरा घर (भाव 3)

    जन्म कुंडली के तीसरे घर में  मेहनत का समावेश अधिक  रूप में होता है इसमें मनुष्य का साहस का अंदाजा  किया जाता है।  इस घर में पाए जाने वाले राशि के व्यक्ति को  जीवन में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। तथा अधिक मेहनत करने के बावजूद भी योग्य फल नहीं मिल पाता। इसीलिए इस घर को नकारात्मक घर (Negative House)भी कहा जाता है। इसके अलावा तीसरे घर में  छोटे भाई बहन का प्यार कैसा रहेगा  इन बातों की जानकारी दी जाती है।


    • चौथा घर (भाव 4 )

     जन्मकुंडली चित्र में दिखाया गया चौथा घर  “मां” का स्थान माना जाता है। माता के साथ आपका बर्ताव  तथा  माता का प्यार कैसा रहेगा आदि विशेषताओं के बारे में बताता है।  इसके अलावा कुंडली  का चौथा घर केंद्र का घर होने की वजह से यह अधिक  महत्वपूर्ण पाया जाता है। घर में जन्म लेने वाले राशि के व्यक्ति के लिए यह सुख सुविधा का घर माना जाता है क्योकि इसमें वाहन, मकान, प्रॉपर्टी,  जायदाद और जीवन के सुख- सुविधाएं  आदि संबंधित बातें इस घर में देखी जाती है।

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    • पांचवा घर (भाव 5 )

    जन्म कुंडली का पांचवा  घर आपकी शिक्षा और संतान के बारे में जानकारी देता है जैसे कि आपकी संतान कैसे होगी, संतान की तरक्की,  संतान के साथ आप का भाव कैसा रहेगा  इसके अलावा आप कितनी शिक्षा प्राप्त करेंगे, आपका ज्ञान कितना है, किस प्रकार का ज्ञान आप प्राप्त करेंगे आदि विशेषताओं के बारे में जानने में मदद करता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें जन्मकुंडली का यह  घर  प्रेम संबंधित (Affair)  बातो  का वर्णन करता है इसलिए इस घर को त्रिकोण घर (Triangle House)  कहते हैं।


    • छठवां घर (भाव 6) 

    इस घर में जन्म लेने वाले राशि को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है तथा  इस घर के व्यक्ति को  मुनाफा होने की संभावना कम हो जाती है।  जन्म कुंडली में पाए जाने वाला यहां छठवां घर  आपको कर्जा,  लोन,  उधारी, व्यक्ति का लेन-देन,  रोग,  शत्रु, दुर्घटना आदि विशेषताओं के बारे में जानकारी देता है  और इन कारणों की वजह से यह घर संकट को दर्शाता है। परंतु नौकरी तथा जॉब की  विशेषता में यह घर उचित माना जाता है।

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    • सातवां घर (भाव 7)

    जन्म कुंडली के सातवें घर में व्यक्ति के पति तथा पत्नी के बारे में जानकारी देता है।  सरल शब्दों में यह घर आपके साथी (Partner) बारे में जानकारी देता है जैसे कि आपका जीवन साथी कैसा रहेगा, आपका बिजनेस पार्टनर  कैसा रहेगा आदि विशेषताओं का वर्णन करता है। परंतु "जन्म कुंडली देखना कैसे सीखें"  इसके लिए आपको ग्रहों की डिग्री का ज्ञान होना जरुरी है. 


    • आठवां घर (भाव 8)

    जन्म कुंडली  का आठवां घर व्यक्ति के लिए उतना उचित नहीं  पाया जाता,  क्योंकि इसमें  किसी प्रश्न का हल तथा परिणाम मिलने की संभावना कम पाई जाती है इसी कारण यह घर व्यक्ति को एक गहरी सोच में ले जाता है। यह   जन्मकुंडली का आठवां घर एक वैज्ञानिक के रूप में कार्य करता है जो अधिकतम सोचने में अपना समय देते हैं। परंतु यदि इस घर में आपके ग्रह अच्छे हो तो आप एक बड़ी खोज कर सकते हैं। इसके अलावा  मनुष्य की बाधा, संकट और मृत्यु आदि संबंधित जानकारी इस घर से प्राप्त होती है।


    • नौऊवा घर (भाव 9)

    जन्म कुंडली का नवा घर त्रिकोण का घर होने के साथ-साथ यह व्यक्ति का भाग्य  उदय स्थान भी माना जाता है।  इसके अलावा इस घर में पिता का स्थान पाया जाता है ऐसे की  या के साथ आपका बर्ताव,  पिता का प्यार, पिता का बिजनेस  आपके साथ संबंध साथ ही साथ विदेश की यात्रा  आदि संबंधित बातें  इस घर से देखी जाती है।


    • दसवां घर (भाव 10)

    जन्मकुंडली का दसवां घर त्रिकोण घर  स्थान में पाया जाता है।  यह घर  व्यक्ति के  व्यवसाय (Profession), व्यापार, बिजनेस, धंधा,  नौकरी इसके अलावा व्यवसाय में मिलने वाली प्रगति, धन कमाई के मार्ग, व्यक्ति की प्रसिद्ध थी आदि विशेषताओं की जानकारी प्रदान करता है इसलिए  जन्म कुंडली में यह एक महत्वपूर्ण  घर माना जाता है।


    • ग्यारवा घर (भाव 11) 

    Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi में जन्मकुंडली का यह 11वां घर का संबंध 10 वे  घर के साथ  जुड़ा होता है।  यह  11 वा घर लक्ष्मी के स्थान को प्रदर्शित करता है,  व्यक्ति की व्यापार में उन्नति कितनी होगी, व्यक्ति का बिजनेस में कमाया हुआ धन आदि जानकारी का वर्णन किया जाता है।


    • बारहवां घर (भाव 12)

    जन्मकुंडली का 12 वां घर  व्यक्ति के लिए उचित नहीं माना जाता। क्योंकि इस घर का संबंध जेल,  कारावास, कोर्ट कचहरी, व्यापार में घाटा आदि विशेषताओं के बारे में जानकारी  देता है। इसके अलावा पति पत्नी का साथ इतने समय तक रहेगा, पति पत्नी का संबंध बनेगा तथा नहीं बनेगा, अधिक खर्चा  आदि नकारात्मक  बातों की जानकारी प्राप्त की जाती है। परंतु विदेश  में बसने के लिए ( विदेश सेटलमेंट)  देखने के लिए यह एक बहुत अच्छा घर  पाया  जाता है। 


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    कुंडली कैसे देखे उदाहरन की तौर पर समझे :


    टेबल में बताये गये नंबर के अनुसार यदि आपकी धनु राशी है तो आपको 7 वे घर (भाग 7 ) के पूर्ण लाभ मिलेंगे। इसके आलावा जन्म कुंडली को ग्रहों की डिग्री के अनुसार भी देखा जाता है। जिससे व्यक्ति का सटीक भविष्य बताया जा सकता है। कुंडली देखना कैसे सीखें इस पोस्ट को video के माध्यम से देख सकते है


     Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi video 


    जन्म कुंडली पढने का तरीका एक उचित अभ्यास द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। जन्म कुंडली पढने के तरीके कई प्रकार के है परंतु उसके लिए उचित ज्ञान होना बेगद जरुरी है. हमारी दी गयी यह  छोटीसी जानकारी एक निशित रूप पर आपको जरुर सफलता देगी उम्मीद करता हु "जन्म कुंडली देखना कैसे सीखे" यह  आप जान गये होगे।

    उम्मीद करता हु दोस्तों हमारा लिखा गया यह पोस्ट "कुंडली देखना कैसे सीखें । Kundali Dekhna Kaise Sikhe In Hindi" आपको जरुर पसंद आया होगा। कृपया आपनी राय कमेन्ट में जरुर बताये


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