टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज। Tonsillitis treatment in homeopathy

टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज यह सवाल अधिकतर लोगो द्वारा पुचा जाता है टॉन्सिल हमारे गले में गाल के पिछले हिस्से में होता है जो मूह के अंदर जाने वाले बक्टेरिया को खत्म करने में मदत करता है। परंतु अनुचित खान-पान के कारन टॉन्सिल की प्रतिकारक शक्ति कम हो जाती है और टॉन्सिल में सुजन आती है, ऐसे में टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज के द्वारा टॉन्सिल ठीक किया जाता है। इस पोस्ट में tonsils ka homeopathy ilaj, टॉन्सिल क्या है, टॉन्सिलाइटिस के प्रकार, टॉन्सिल होने पर क्या नहीं खाना चाहिए आदि सभी सवालों की जानकारी विस्तार से बताई गई है। तो आइये जानते है टॉन्सिल के लिए होम्योपैथिक दवाई के बारे में। Tonsillitis treatment in homeopathy hindi 

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टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज


    टॉन्सिल क्या है और क्यों होता है?

    टॉन्सिल्स हमारे शरीर का बेहद जरूरी होता है। टॉन्सिल्स हमारे गले के अंदर दोनों तरफ छोटे-छोटे अंग होते हैं, अनन्य रूप से यह गुलाबी रंग के होते हैं। अंग्रेजी में इन्हें लिंफ नोड्स भी कहते हैं। टॉन्सिल्स मुंह से अंदर जाने वाले इन्फेक्शन को रोकने का तथा इंफेक्शन को खत्म करने का काम करता है जिसके कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बनाए रखने में मदद मिलती है। जब आप मुंह खोल कर "आं" करते हैं उस दौरान टॉन्सिल्स को देखा जा सकता है। 

    मुझे टॉन्सिल्स हो गया है” यह बात अक्सर लोगों द्वारा सुनी जाती है। परंतु असल में  उसे “टॉन्सिलाइटिस” कहा जाता है। टॉन्सिल्स जब  वायरस या बैक्टीरिया से  संक्रमित (Infected) हो जाते है इस दौरान उसे टॉन्सिलाइटिस कहा जाता है। टॉन्सिल में इन्फेक्शन बढ़ जाने के कारण टॉन्सिलाइटिस होता है, जिसके कारण  टॉन्सिल्स में सूजन आती है और वह है "लाल" कलर के दिखने लगते हैं। ज्यादातर टॉन्सिलाइटिस की समस्या  छोटे बच्चों से लेकर 30 साल के उम्र तक लोगों में पाई जाती है। टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज के साथ- साथ इसका इलाज आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाइयों में भी उपलब्ध है।


    टॉन्सिलाइटिस के प्रकार (Types Of Tonsillitis)

    टॉन्सिलाइटिस को डॉक्टर की सलाह के अनुसार ठीक किया जा सकता है।  मुख्यतः टॉन्सिलाइटिस के दो प्रकार होते हैं Acute tonsillitis और Chronic tonsillitis.

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    टॉन्सिलाइटिस के प्रकार 


    1. Acute Tonsillitis : 

    यदि गले में टॉन्सिल इनफेक्शन अचानक होकर कम समय में ठीक हो जाता है उसे एक्यूट टॉन्सिलाइटिस कहते हैं, इस दौरान टॉन्सिल्स में सुजन आती है और वेह लाल रंग के दिखाई देते है। आमतौर पर एक्यूट टॉन्सिलाइटिस यहां टॉन्सिल्स में वायरल इंफेक्शन की वजह से होता है, यह संक्रमण  सूक्ष्म  (mild)  होता है तथा जल्दी ठीक होता है। 

    2. Chronic Tonsillitis :

    गले में पाए जाने वाले टॉन्सिल्स में बैक्टीरियल इंफेक्शन बढ़ जाने के कारण क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस होता है, इस दौरान टॉन्सिल्स में सुजन आती है और टॉन्सिल्स में सफ़ेद रंग का पस दिखाई देता है,  हालांकि यहां लक्षण गंभीर होने के कारण क्रॉनिक टॉन्सिलाइटिस ठीक होने में 2 से 3 हफ्ते का समय लगता है। 

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    गले में इन्फेक्शन के लक्षण  (Symptoms of  Tonsillitis in Hindi)

    टॉन्सिल्स में इन्फेक्शन होने के कारण टॉन्सिलाइटिस होता है, टॉन्सिल्स में सूजन आने के लक्षण कई प्रकार के होते हैं जैसे 

    • मौसम का बदलाव तथा बारिश में भीगने के बाद गले में दर्द महसूस होना
    • खाना निगलते वक्त गले में दर्द होना
    • सांस लेने में तकलीफ होना 
    • गले के साथ-साथ कानों में दर्द होना और बुखार का आना
    • बात करते वक्त गले में दर्द होना
    • खाना निगलते वक्त उल्टी होना
    • गले में खराश होना

    आदि प्रकार की समस्या टॉन्सिल्स में सूजन बढ़ जाने के कारण होती है

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    टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज। Tonsillitis treatment in homeopathy

    अक्सर लोग टॉन्सिल कैसे ठीक होगा इस बात से परेशान रहते हैं। टॉन्सिल का इलाज होम्योपैथिक दवाइयों द्वारा भी किया जाता है। अक्सर टॉन्सिल नॉरमल कंडीशन में गुलाबी रंग के होते हैं। परंतु  यदि टॉन्सिल्स का आकार बढ़  जाते हैं उस दौरान वह सूजन आए हुए लाल रंग में दिखाई देते हैं, जिसके बाद टॉन्सिल्स पर ध्यान देना जरूरी होता है और सही समय पर ध्यान ना देने से टॉन्सिल्स  के ऊपर पस जमा होने लगता है । इस पोस्ट में टॉन्सिल्स का होम्योपैथिक इलाज बताया गया है जिसकी मदद से आप टॉन्सिलाइटिस जैसी समस्या को दूर कर सकते हैं।तो आइए जानते हैं टॉन्सिल के लिए होम्योपैथिक दवाई के बारे में। 


    टॉन्सिल की होम्योपैथिक दवा (Homeopathic Medicines for Tonsils)

    टॉन्सिल्स कौनसी स्टेज में है यह जानकर किस होम्योपैथिक दवाइयों का सेवन करें यह जाने

    Stage 1 : टॉन्सिल्स के शुरुवाती स्टेज में टॉन्सिल्स पर सुजन दिखाई देती है, यदि टॉन्सिल्स का आकार बढ़ गया है और वेह गुलाबी रंग में दिखाई देते है यह टॉन्सिलाइटिस का शुरुवाती लक्षण होते है, ऐसे में टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज के लिए "Calcarea Cabs" यह होमेइओपथिक दवाई का सेवन कर सकते है, इसके लिए  सुबह और शाम 2-2 गोली 10 ml पानी में मिलाकर गार्गल करते हुए पिये।

    Stage 2 : यदि खाना खाते समय गले में दर्द महसूस होना तथा टॉन्सिल्स में ज्यादा सुजन है और वेह लाला रंग के दिखाई दे रहे है ऐसे में "Belladona" यह टॉन्सिल्स की होमेइओपथिक दवा बेहद फायदेमंद है। इसके लिए  सुबह और शाम 2-2 गोली 10 ml पानी में मिलाकर गार्गल करते हुए पिये।

    Stage 3 : यदि टॉन्सिल्स में सुजन आने के कारन तेज बुखार आना और कान के साथ -साथ गले में दर्द होना इसके आलावा टॉन्सिल्स के उपर पीले रंग का पस दिखाई देना यह टॉन्सिलाइटिस की गंभीर समस्या होती है ऐसे में टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज के लिए "Hepar Sulph" यह होमेइओपथिक दवाई का सेवन करे। इसके लिए  सुबह और शाम 2-2 गोली 10 ml पानी में मिलाकर गार्गल करते हुए पिये।

    यदि ऊपर बताए गए टॉन्सिल्स के स्टेज का संक्रमण छोटे बच्चों में पाया जाता है ऐसे में उन्हें  सुबह-शाम 5ml पानी में एक गोली मिलाकर पिलाये। लगभग 8 से 10 दिन में टॉन्सिल्स  मैं सूजन की समस्या दूर हो जाएगी और  गले का दर्द  ठीक हो जाएगा।

     

    टॉन्सिल होने पर क्या नहीं खाना चाहिए?

    टॉन्सिल्स पर आए हुए सूजन में संक्रमण होने से बचाने के लिए नीचे बताए गए चीजों का सेवन ना करें ।गले में टॉन्सिल पर सूजन आने पर इन चीजों का सेवन ना करें

    • आइसक्रीम का सेवन ना करें
    • बाहर का सेवन ना करें
    • खट्टी-चटपटी चीजें ना खाएं
    • फ्रीज़ से तुरंत निकाली हुई ठंडी चीजों का सेवन ना करें
    • ज्यादा मीठे पदार्थ / चीजों का सेवन ना करें
    • शराब का सेवन ना करे

    हालांकि टॉन्सिल्स ठीक होने के 1 महीने बाद आप सभी प्रकार की चीजों का सेवन कर सकते हैं, परंतु किसी भी पदार्थ का सेवन  एक निश्चित मर्यादा में करें। 

    FAQ (टॉन्सिल सम्बंधित पूछे गये सवाल जवाब)

    1. टॉन्सिल कितने दिन तक रहता है?

    सामान्यता यदि टॉन्सिल में वायरल और बैक्टीरियल इन्फेक्शन का संक्रमण कम है एसेमे डॉक्टर द्वारा टॉन्सिल का इलाज ठीक होने में 1 हफ्ते का समय लगता है। परंतु यदि संक्रमण अधिक है एसेमे 2-3 हफ्ते का समय लगता है।

     

    2. दवा का असर कितने दिनों में होता है?

    यदि गले में  टॉन्सिल्स पर सूजन आई है ऐसे में तीन से चार दिन बाद दवा का असर शुरू हो जाता है और लगभग 1 से डेढ़ हफ्ते बाद टॉन्सिल्स पूरी तरह से ठीक हो जाते है।

    आज हमने क्या सीखा

    जैसा कि आपने टॉन्सिल क्या है, ट्रांसलेट के प्रकार और टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज के बारे में पढ़ा। इससे यह जानने में मदद मिलती है की टॉन्सिल्स के शुरुआती लक्षण में होम्योपैथी डॉक्टर की सलाह जरूरी है ताकि टॉन्सिल को  बैक्टीरियल तथा वायरल इनफेक्शन से संक्रमित होने से बचाया जा सके। अक्सर लोग पंच इस पर ध्यान ना  देने से टॉन्सिलाइटिस की समस्या बढ़ जाती है और टॉन्सिल्स कठोर  तथा कड़क बनने लगते हैं, जिसके बाद टॉन्सिल्स की सर्जरी भी करनी पड़ सकती है। इसीलिए गले में दर्द के शुरुआती लक्षण में डॉक्टर की सलाह लेकर  नियमित दवाइयों का सेवन करें और टॉन्सिल को बढ़ने से रोके।

    उम्मीद करता हूं दोस्तों हमारा लिखा गया यह पोस्ट टॉन्सिल क्या है, प्रकार, टॉन्सिल का होम्योपैथिक इलाज। Tonsillitis treatment in homeopathy आपको जरूर पसंद आया होगा। टॉन्सिल्स के लिए होम्योपैथिक दवा कौन सी है इसके बारे में आपकी क्या राय है कमेंट में जरूर बताएं।

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