कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन। How to know delivery will be normal or caesarean

अक्सर गर्भवती महिला के मन में यह सवाल उठता है कि कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन? तथा वेह यह बात How to know delivery will be normal or caesarean अक्सर सर्च करते रहते है। हलाकि नॉर्मल डिलीवरी में टांके ना के बराबर लगते हैं, इसके अलावा मां और बच्चा दोनों को इंफेक्शन का खतरा कम रहता है और महिला की रिकवरी जल्दी होती है इसीलिए हर कोई  महिला नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा रखती है। परंतु हर एक गर्भवती महिला की डिलीवरी बच्चेदानी की परिस्थिति तथा यूट्रस की स्थिति को समझ कर की जाती है। जिसके बाद डिलीवरी नॉरमल होगी कि सिजेरियन इस बात का पता चलता है। इस पोस्ट में कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन, kaise pta chlega delivery normal hogi ki cesarean  इसके बारे में जानकारी बताई गई है। इसके अलावा आज इस पोस्ट में बताएंगे कि कौन सी अवस्था में नॉर्मल डिलीवरी संभव है और कौन सी अवस्था में सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है। तो आइए जानते हैं की कैसे पता करें डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन इसके बारे में हिंदी में।

कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन, How to know whether the delivery will be normal or caesarean in hindi
कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन


    डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन जानने का तरीका 

    अक्सर कई बार डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी की सलाह देते हैं, परंतु कुछ अचानक ऐसे कारण उत्पन्न हो जाते हैं  जिसके कारण सिजेरियन डिलीवरी करना आवश्यक होता है। हालांकि सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी करने के अधिक फायदे होते हैं। परंतु कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन यह जानने के लिए कई बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है जैसे बच्चे की पोजीशन कैसी है, बच्चे का वजन कितना है, बच्चे की हालत कैसी है, बच्चेदानी का मुंह कितना खुला हुआ है, बच्चे ने पेट में गंध की  है तथा नहीं, गर्भाशय में पानी कितना है, क्या महिला के यूट्रस में अधिक दर्द हो रहा है आदि सभी बातों को ध्यान में रखते हुए मां और बच्चे की सुरक्षा के लिए कौन सी डिलीवरी करना सही रहेगा इस बात का पता किया जाता है, जिसके बाद डॉक्टर नॉर्मल डिलीवरी तथा सिजेरियन डिलीवरी करने की सलाह देते हैं। आइए विस्तार में जानते हैं की कैसे पता करे डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन के बारे में 

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    कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन

    जैसा कि इस पोस्कैट में कैसे पता करे डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन इसके बारे में जानने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है इसके बारे में ऊपर जानकारी बताई गई है। अक्सर महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी करना पसंद करती है परंतु कुछ कारणों की वजह से डॉक्टर अचानक सिजेरियन डिलीवरी  करते हैं। हर महिलाओं की प्रेगनेंसी अलग अलग प्रकार की होती है। परंतु बच्चे की सुरक्षा के लिए प्रेग्नेंट महिला को यह बातें समझना जरूरी होता है की कौन सी अवस्था में नार्मल डिलीवरी की जाती है तथा कौन सी अवस्था में सिजेरियन डिलीवरी की जाती है, इन सभी बातों का पूर्ण वर्णन नीचे विस्तार में किया गया है। 

     

    बच्चे की पोजीशन से पता करें डिलीवरी नॉरमल होगी कि सिजेरियन

    kaise pta chlega delivery normal hogi ki cesarean यह बात हर कोई कर पावती महिला जानना चाहती है। परंतु डिलीवरी नॉरमल होगी कि सिजेरियन यह बात जानने के लिए बच्चेदानी में मौजूद बच्चे की पोजीशन को जानना बेहद जरूरी होता है। बच्चे की पोजीशन जानने के लिये कार्डियोटोकोग्राफी CTG (Cardiotocography) मशीन की ultrasonic report देखी जाती है। इसके आलावा नॉर्मल डिलीवरी और सिजेरियन डिलीवरी के दौरान बच्चे की पोजीशन किस प्रकार की होती है  इसकी जानकारी नीचे चित्र के माध्यम से बताई गई है

    • Normal Position :

    कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन यह सवाल से अक्सर महिला चिंतित रहती है। यदि गर्भवती महिला की नार्मल डिलीवरी करनी है, एसेमे बच्चे का नार्मल पोजीशन में होना जरुरी होता है। जैसा की निचे चित्र में बताया गया है। Normal Position में बच्चे का सिर यूट्रस की तरफ होना और इसके आलावा ऑस का अच्छी तरह खुलना बेहद जरुरी होता है।

    • Transverse Position (आड़ा): 

    बच्चेदानी में मौजूद बच्चा आड़ा होने पर उसे ट्रांसवर्स पोजिशन कहते हैं। ऐसे परिस्थिति में बच्चे को नार्मल तरीकेसे बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है जिसके कारन सिजेरियन डिलीवरी (C-Section) द्वारा बच्चे को बाहर निकाला जाता है।

    • Breech Position (पीछे का भाग) : 

    कई बार बच्चेदानी में मौजूद बच्चा हलचल करते रहता है जिसके कारण वह पेट के अंदर उल्टा हो जाता है जिसमे सिर उपर क तरफ हो जाता है और योनि द्वार के पास बच्चे का गुदा का भाग आ जाता है। एसेमे ज्यादातर डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी (C-Section) द्वारा बच्चे को बाहर निकाला जाता है।

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    कैसे पता करे डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन

    इन अवस्था में नॉर्मल डिलीवरी की जाती है (Condition for normal delivery) 

    कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन तथा  नॉर्मल डिलीवरी कैसे होती है या सवाल अक्सर कहीं महिलाओं  द्वारा पूछा जाता है। नॉर्मल डिलीवरी तब होती है जब डिलीवरी के दौरान नीचे वजाइना में बिना कट लगाये बच्चे को यौनी से बाहर निकला जाता है तब उसे नार्मल डिलीवरी कहते है। हाला की नॉर्मल डिलीवरी में सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले दर्द ज्यादा होता है, परंतु यह एक्सएफ डिलीवरी मानी जाती है।  नीचे बताई गई परिस्थिति में नॉर्मल डिलीवरी करना संभव है। तो आइए जानते हैं नॉर्मल डिलीवरी के लक्षण क्या है और नॉर्मल डिलीवरी किन परिस्थिति में की जाती है। 

     

    महिला की इस परिस्थिति में नॉर्मल डिलीवरी की संभावना होती है 

     

    • यदि गर्भवती महिला को दर्द होना शुरू होता है और महिला के यौन का ऑस (OS) अच्छे से ओपन हो रहा है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर द्वारा इंजेक्शन देकर बच्चेदानी का मुंह खोलकर, नॉर्मल डिलीवरी की जाती है।  
    • नॉर्मल डिलीवरी के लिए बच्चेदानी में मौजूद बच्चे की पोजीशन का सही होना जरूरी है। यदि बच्चे का  सिर जीवनी की तरफ निचे झुका हुआ है और पैर ऊपर की ओर है इसके साथ योनी का मूह अच्छे से खुला हुआ है ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी की जाती है।
    • कई बार बच्चे का वजन 4 किलो से कम है एसेमे नॉर्मल डिलीवरी के संकेत बढ जाते हैं।  
    • अगर प्रेग्नेंसी के नौवें महीने में प्राइवेट पार्ट से गाढ़ा डिस्चार्ज (गाढ़ा द्रव) निकल रहा है तो यह नॉर्मल डिलीवरी के संकेत होते हैं। 
    • बार बार यूरिन आना यह नार्मल डिलीवरी के लक्षण होते है। असल में 9 वे महीने में जब पेट के अंदर का बच्चा श्रोणि क्षेत्र (Pelvis Area) में आने लगता है ऐसे में वेह मूत्राशय (Urinary bladder) पर दबाव डालता है जिसके कारन बार-बार यूरिन आती है, ऐसे में नॉर्मल डिलीवरी की संभावना  ज्यादा होती है।  
    • बच्चेदानी का मुंह फूलना तथा चौड़ा होना यहां नॉर्मल डिलीवरी के संकेत होते हैं, परंतु यह सिर्फ डॉक्टर द्वारा चेक किया जा सकता है।
    • यदि प्रेगनेंसी के आखिरी 4 हफ्ते में पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, ऐठन महसूस होना तथा फॉल्स लेबर पेन होना यह सारे नॉर्मल डिलीवरी होने के लक्षण होते हैं। 
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    How to know delivery will be normal or caesarean in hindi, कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन
    How to know delivery will be normal or caesarean in hindi 

    इन अवस्था में सिजेरियन डिलीवरी की जाती है (condition for cesarean delivery)

    कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन तथा सिजेरियन डिलीवरी कैसी होती है यह सवाल अक्सर गर्भवती महिला के मन में रहता है। यदि नॉर्मल डिलीवरी करने में परेशानी आ रही है ऐसे में डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी की सलाह देते हैं  इसे C-Section भी कहते है। सिजेरियन डिलीवरी में यौनी से ऊपर के हिस्से तक कट लगाकर बच्चे को बाहर निकाला जाता है। आइए जानते हैं किस परिस्थितियों में सिजेरियन डिलीवरी की जाती है

     

    महिला की इस परिस्थिति में सिजेरियन डिलीवरी की संभावना होती है 

    • यह कहा नही जा सकता की आपको अच्छे संकुचन आने पर ही नॉर्मल डिलीवरी, क्योंकि कई बार नॉर्मल संकुचन आने पर भी बच्चेदानी का मुंह (Cervix) नहीं खुलता है और बच्चा अंदर की ओर जाने लगता है ऐसी कंडीशन में डॉक्टर को सिजेरियन डिलीवरी करनी पड़ती है। 
    • यदि डिलीवरी होने में समय है, परंतु पेट में पल रहे बच्चे ने बच्चेदानी में गंध (Meconium) की है, ऐसे में यह मैकोनियम बच्चे के मुंह से अंदर जाने का खतरा रहता है जिससे बच्चे को इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है जिसके कारन ऐसी परिस्थिति में सिजेरियन डिलीवरी की जाती है।
    • अक्सर बच्चेदानी में बच्चे की पोजीशन अलग-अलग प्रकार की पाई जाती है, परंतु यदि बच्चेदानी में बच्चे की पोजीशन आड़ी (Transverse Position) है तथा योनि के पास बच्चे का पिछला हिस्सा (Breech Position) आया है इस प्रकार की पोजीशन में ऑपरेशन द्वारा कट लगा कर डिलीवरी की जाती है। 
    • यदि बच्चेदानी में मौजूद पानी की मात्रा खतम हो जाती है, एसेमे बच्चे के दिल की धड़कन बढ़ जाती है और बच्चे की जान जाने का खतरा होता है, ऐसी परिस्थिति में बिना देरी किए सिजेरियन डिलीवरी करना जरूरी होता है।
    • यदि प्रेग्नेंट महिला की योनि से बच्चे की गर्भनाल बाहर की और दिखाई दे रही है,  ऐसे में बच्चे को रक्त की आपूर्ति होना बंद हो जाता है, जो कि एक विकट परिस्थिति होती है ऐसे में बच्चे की जान का खतरा होता है, इस प्रकार की परिस्थिति में बिना देरी किए सिजेरियन डिलीवरी की जाती है ताकि बच्चा सुरक्षित रह सके। 
    • यदि यूट्रस तथा वजाइना में किसी तरह की कोई रुकावट है, मांस है तथा श्रोणि की हड्डी (Pelvis bone) छोटी है ऐसे में बच्चे को बच्चेदानी से निकालना मुश्किल होता है, ऐसी परिस्थिति में  नॉर्मल डिलीवरी करना मुश्किल हो जाता है जिसके कारण  ऐसी कंडीशन में सिजेरियन डिलीवरी करना आवश्यक होता है।

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    कोनसी डिलीवरी करना सुक्षित होता है नार्मल या सिजेरियन

     कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन यह सवाल डिलीवरी डेट नजदीक आते ही महिला के मन में उठता है हालांकि सिजेरियन डिलीवरी के मुकाबले नॉर्मल डिलीवरी में अधिक दर्द होता है और नॉर्मल डिलीवरी यहां एक प्राकृतिक डिलीवरी भी मानी जाती है जिसमें महिला को जल्दी रिकवरी मिलती है तथा माँ और बच्चे को किसी प्रकार का इन्फेक्शन का खतरा नहीं रहता है। हालांकि कई महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी में अधिक दर्द होने के कारण सिजेरियन डिलीवरी करना पसंद करती है। परंतु कोनसी डिलीवरी करना सुक्षित होता है यह बच्चेदानी में मौजूद बच्चे की पोजीशन और परिस्थिति अनुसार योनि में होने वाले बदलाव पर निर्भर करती है। यदि डिलीवरी की परिस्थिति विकट है तथा बच्चे की जान को खतरा महसूस हो रहा है है ऐसे में डॉक्टर सिजेरियन डिलीवरी (C-Section) की सलाह देते हैं है ताकि जल्द से जल्द मां और बच्चे को सुरक्षित बचाया जा सके।

     

    कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन-Video

    निचे बताये गये इस video में कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन इसके बारे में जानकारी बताई गई है, जिससे गर्भवती महिला की मन की शंकाए दूर होने में मदत मिलेगी।

     


    प्रेगनेंसी संबंधित पूछे गए सवाल जवाब (FAQ)

    Q1. बच्चेदानी तथा प्रेगनेंसी में दर्द होना कब शुरू होता है?

    प्रेगनेंसी में 9 वे महीने के शुरवाती दिनों से हल्के दर्द होना शुरू हो जाते है, तथा प्रेगनेंसी के अंतिम हफ्ते में दर्द अधिक बढ़ जाते है जिसके बाद डॉक्टर डिलीवरी करने की सलाह देते है। 


     Q2. नार्मल डिलीवरी में कितना टाइम लगता है?

    यदि गर्भाशय का ऑस अच्छे से खुल रहा है एसेमे नार्मल डिलीवरी के लिए 30 मिनट से 60 मिनिट का समय लगता है। परंतु यदि बच्चे को पोजीशन अनुचित है तथा बच्चा गर्भाशय से बाहर निकलते वक्त कुछ बाधायें आ रही है एसेमे जरूरत पड़ने पर सिजेरियन डिलीवरी की जाती है जिसमे 3 से 4 घंटे का समय लगता है।   


    Q3. डिलीवरी डेट निकल जाये तो क्या करे

    यदि डिलीवरी की तारीक निकल गई है और बच्चेदानी में दर्द (Contraction) नही हो रहा है। एसेमे डॉक्टर गर्भवती महिला को बच्चेदानी तथा वजाइना (योनी) में दर्द शुरू होने की दवा देते है जिसके 2-3 दिन बाद गर्भवती महिला को दर्द होना शुरू होता है जिसके बाद नार्मल डिलीवरी तथा सिजेरियन डिलीवरी (ऑपरेशन) करके बच्चे को बाहर निकला जाता है।


    आज आपने क्या सीखा?

    जैसा कि इस पोस्ट में कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन (How to know delivery will be normal or caesarean) इसके बारे में जानकारी बताई गई है। किसी भी गर्भवती महिला को  डिलीवरी नॉरमल होगी कि सिजेरियन यह सवाल उत्पन्न होना स्वाभाविक है। इसके अलावा कई महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी की अपेक्षा रखती है, क्योंकि यह एक ऐसी डिलीवरी है जो प्राकृतिक रूप से होती है इसके अलावा नॉर्मल डिलीवरी के कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं और बच्चे और मां को जल्दी रिकवरी मिलने में मदद मिलती है। गर्भावस्था के दौरान हर महीने में डॉक्टर द्वारा चेकअप करना जरूरी होता है ताकि योग्य समय पर डिलीवरी हो सके।

    उम्मीद करता हूं हमारा लिखा गया यह पोस्ट कैसे पता चलेगा डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन।  How to know delivery will be normal or caesarean आपको जरूर पसंद आया होगा। कैसे पता करे डिलीवरी नार्मल होगा कि सिजेरियन इसके बारे में आपकी क्या राय है कमेंट में जरूर बताएं।

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