पढ़िए छोटीसी भगत सिंह की कहानी जो उनके वीरता को दर्शाती है ।

Story of Bhagat Sing In Hindi


कहते है "पुत्र के पाव पलने में दिखाई देते है"

जब भगत सिंह 5 वर्ष के थे तो उनके खेल भी अनोखे थे . भगत सिंह अपने मित्रो को दो टोलियों में बाट देता था और वह एक-दुसरेसे आक्रमण करे युद्ध का अभ्यास क्या करते थे .भगत सिंह के हर कम में उसके वीर ,धीर और निर्भय होने का साहस मिलता था

एक बार सरदार किशनसिंह इस अपने छोटे पुत्र (भगतसिंह) को लेकर अपने मित्र श्री नन्द किशोर मेहता के पास उनके खेत पर जाते है । दोनों मित्र आपस  बातों में  लग गए , और बालक भगत अपने खेल में मगन हो गया ।

नन्द किशोर मेहता का ध्यान भगतसिंह के खेल कि ओर जाता है  । भगतसिंह मिट्टी के ढेरों पर छोटे-छोटे तिनके लगाए जा रहा था।

उनके इस खेल  को देखकर नंद किशोर मेहता बड़े सहानुभूति से बालक भगतसिंह से बातें करने लगे-


श्री नंदकिशोर मेहता ने पूछा। ‘‘तुम्हारा क्या नाम है ?'' 


बालक ने उत्तर दिया-‘‘भगतसिंह।''


‘‘तुम क्या करते हो ?''


‘‘मैं बंदूकें बेचता हूं।'' बालक भगतसिंह ने बड़े गर्व (attitude) से उत्तर दिया।


‘‘बंदूकें...?''


‘‘हां, बंदूकें''


‘‘वह क्यों ?''


‘‘मेरे देश को  स्वतंत्र कराने के लिए।''


‘‘तुम्हारा धर्म क्या है ?'' ( नंदकिशोर मेहता ने पूछा )


‘‘देश की रक्षा करना मेरा धर्म है ।''

श्री नन्द किशोर मेहता राष्ट्रभक्त विचारोंके  व्यक्ति थे। उन्होंने बालक भगतसिंह को बड़े स्नेहपूर्वक अपनी गोदी में उठाया । मेहता जी उसकी बातों से पूर्णरूप से प्रभावित हुए और सरदार किशन सिंह से बोले (भगत सिंह के पिता ), ‘‘अरे भाई ! तुम बड़े भाग्यवान् हो, जो तुम्हारे घर में ऐसे निर्भय व विलक्षण बालक ने जन्म लिया है। मेरा इसे आशीर्वाद है, यह बालक संसार में एक दिन तुम्हारा नाम जरुर रोशन करेगा।और देशभक्तों में इसका नाम अमर होगा।''

वास्तव में समय आने पर  नंदकिशोर मेहता की यह भविष्यवाणी सत्य हुई।

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उम्मीद करता हु दोस्तों आपको ( भगतसिंह की कहानी । भगत सिंह का बचपन । Story of Bhagat Sing। ) ये छोटीसी कहानी पसंद आयी होंगी ।