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जलियांवाला बाग हत्याकांड पूरी कहानी । Jaliya Wala Bag Hatyakand in Hindi ।

Jaliya Wala Bag Hatyakand in Hindi 

जलियांवाला बाग हत्याकांड भारत के इतिहास से जुड़ी हुई एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, जो कि साल 1919 में घटी थी. हमारे देश की आजादी के लिए चल रहे आंदोलनों को रोकने के लिए ब्रिटिश ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया था. लेकिन इस हत्याकांड के बाद क्रांतिकारियों के बदला लेने  के होसले और मजबूत हो गये थे .

जानिए आखिर क्यों जलियाँवाला बाग में बेकसूर लोगो पर गोली चलाई थीऔर इस हत्याकांड का आरोपी कोण था सभी सवालों के जवाब विस्तार में । जलियांवाला बाग हत्याकांड पूरी कहानी । Jaliya Wala Bag Hatyakand in Hindi ।


    आखिर जलियाँ बाग में लोग एकत्रित क्यों हुए थे


    (बैसाखी के दिन ) 13 अप्रैल 1919 में लोग "रौलेट एक्ट" का विरोध करने के लिए  जलियाँवाला बाग में लोग एकत्रित हुए थे. "रौलेट एक्ट" को ब्रिटिश सर्कार द्वारा बनाया गया था , "रौलेट एक्ट" यह एक ऐसा ब्रिटिश कानून था जिसमे भारतीय लोगो पर ब्रिटिश मनमानी करना चाहते थे  

    13 अप्रैल इस दिन बैसाखी का त्योहार था लेकिन इस दिन शहर में कर्फ्यू भी लगाया गया था ,त्योहार  के कारण काफी संख्या में लोग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर आए थे. इस मंदिर के करीब जलियांवाला बाग होनेसे कई लोग इस बाग में घूमने के लिए भी चले गए थे , वही कुछ लोग परिवार के साथ घुमने आये थे ,तो कुछ लोग नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे पर शांतिपूर्ण रूप से सभा में एकत्रित हुए थे


    रौलेट एक्ट के नियम क्या थे   


    1919 में भारत देश में ,ब्रिटिश सरकार  द्वारा कई कानून लागु किये थे ,और इस कानून का भारत देश के हर हिस्सों में विरोध किया जा रहा था 7 फरवरी साल 1919 में ब्रिटिश सरकार ने "रौलेट एक्ट" नाम का बिल इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल में पेश किया और काउंसिल में यह बिल पास कर दिया गया था 

    इस कानून के अनुसार भारत की ब्रिटिश सरकार किसी भी व्यक्ति को देशद्रोह  शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकती थी और उसे बिना किसी सबूत पेश किये जेल में डाल सकती थी


    ब्रिटिश सररकार का "रौलेट एक्ट" कानून लगाने का उद्देश क्या था


    इस  (Rowlatt  Act)  की मदद से भारत की ब्रिटिश सरकार, भारतीय क्रांतिकारियों पर काबू पाना चाहती थी, और भारत  देश के चल रहे आजादी  के आंदोलनों को पूरी तरह से खत्म करना चाहित थी 

    इस  रौलेट एक्ट(Rowlatt Act) का कई नेताओं ने विरोध करते हुए सत्याग्रह आंदोलन  की शुरुआत



    सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत 


     इस (Act) का महात्मा गांधी के साथ  कई नेताओं ने विरोध किया था. गांधीजी ने इस के विरुद्ध सत्याग्रह आंदोलन पूरे देश में शुरू किया था

    साल 1919 में ब्रिटिश हकुमत के खिलाफ शुरू किया गया सत्याग्रह आंदोलन बहुत सफलता के साथ पूरे देश में  चल रहा थाऔर इस आंदोलन में हर भारतीयोने हिम्मत दिखा कर भाग लिया था, लेकिन समय के साथ  आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया था

    9 अप्रैल को सरकार ने पंजाब से ताल्लुक रखने वाले दो लोकप्रिय नेता डॉ. सैफुद्दीन कच्छू और डॉ. सत्यपाल को गिरफ्तार कर लिया गया  था, अपने चहिते नेता की गिरफ्तारी से परेशान होकर, यहां के लोग इनकी रिहाई करवाने के मकसद से डिप्टी कमेटीर, मिल्स इरविंग से मुलाकात करना चाहते थे , लेकिन डिप्टी कमेटीर ने मिलनेसे इनकार क्र दिया था , लोगों ने घुस्से में आकर  तार विभाग, रेलवे स्टेशन और कई सरकारी दफ्तरों को आग लगा दी , इस हिंसा के कारण तीन अंग्रेजों की हत्या भी हो गई थी, सरकारी कामकाज को  बहुत  नुकसान पहुंचा था ,इन घटनाओ से सरकार काफी नाराज थी


    अमृतसर की जिमेदारी डायर को सोपी गई


    भारतीय ब्रिटिश सरकार ने इस बिघडे हलातोपर काबू पाने के लिए इस राज्य की जिम्मेदारी डिप्टी कमेटीर मिल्स इरविंग से लेकर ब्रिगेडियर जनरल आर.ई.एच डायर को सौंप दी थी , इस खतरनाक हालत को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने कई राज्यों में ने मार्शल लॉ लगा दिया था

    मार्शल लॉ के तहत जहां पर भी तिन लोगो से ज्यादा लोग दिखे तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता था, दर्हसल यह एक ब्रिटिश योजना थी  ताकि क्रांतिकारी उनके खिलाफ कुछ संघटन (Planning) ना कर सकें.

    12 अप्रैल को ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर के दो प्रसिद्ध नेता चौधरी बुगा मल और महाशा रतन चंद को गिरफ्तार किया था  ,जिस्से लोगो का आक्रोष और बढ़ गया ,यह आक्रोष देखते हुए  ब्रिटिश पुलिस ने और सख्ती कर दी थी


    जलियांवाला बाग घटना


    आखिर जलियाँ बाग में लोग एकत्रित क्यों हुए थे 

    13 अप्रैल इस दिन बैसाखी का त्योहार था लेकिन इस दिन शहर में कर्फ्यू भी लगाया गया था ,त्योहार  के कारण काफी संख्या में लोग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर आए थे. इस मंदिर के करीब जलियांवाला बाग होनेसे कई लोग इस बाग में घूमने के लिए भी चले गए थे , वही कुछ लोग परिवार के साथ घुमने आये थे ,तो कुछ लोग नेताओं की गिरफ्तारी के मुद्दे पर शांतिपूर्ण रूप से सभा में एकत्रित हुए थे

    जलियांवाला बाग में होने वाली सभा की सूचना डायर को मिली थी सूचना मिलने के बाद डायर करीब 150 सिपाहियों के साथ बाग की ओर रवाना हो गए थे ,डायर को लगा की यह सभा दंगे फैलाने के मकसद से होने वाली है , इसी दौरान बिना कोई चेतावनी दिए डायर ने सिपाहियों को गोलियां चलनेका आदेश दिए ,करीब 10 मिनिट तक गोलिया चलती रही, गोलियों से बचने के लिए लोग भागने लगे,बाग चारों तरफ से दिवारोसे घेरा हुआ था और  बाग का मुख्य दरवाजा सिपाहियों द्वारा बंद किया गया था, आपनी जान बचाते हुए लोग बाग के "कूए" में कूदने लगे, गोलिया लगातार बरसती रही और कुछ ही समय में बाग के मिट्टी (जमीन ) का रंग खून से लाल हो गया था 



    कितने लोगो की हत्या हुई


    इस दर्दनाक घटना  में 370 से अधिक लोगों की मौत हुई थी ,जिनमें महिलाएं और छोटे बच्चे भी शामिल थे ,इस बाग में मौजूद कुएं से 100 से अधिक शव निकाले गए थे. वहीं इस हादसे में कांग्रेस पार्टी के मुताबिक करीब 1000 लोगों की हत्या हुई थी और 1500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे  लेकिन ब्रिटिश सरकार ने केवल 370 के करीब लोगों की मौत होने की पुष्टि की थी. ताकि उनके देश की छवि (image) विश्व भर में खराब ना हो सके

    डायर की हत्या


    सेवानिवृत होने के बाद डायर अपना जीवन लंडन में बिताने लगे लेकिन 13 मार्च 1940 उनकी जिंदगी का आखिरी दिन साबित हुआ. उनके द्वारा किए गए जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेते हुए लंडन के केक्सटन हॉल में उधम सिंह ने डायर को गोली मार दी 

    उधम सिंह कोण थे


    उधम सिंह एक भारतीय स्वतंत्रता कार्यकर्ता थे कहा जाता है कि जलियांवाला बाग हत्याकांड के दिन वो भी उस बाग में मौजूद थे.इस पूरी घटना को उधम सिंह ने आपनी आखो से देखा था , उधम सिंह एक गोली से घायल भी हुए थे ,इस घटना के बाद उधम सिंह  डायर से बदला लेने की रणनीति बनाने में जुट गए थे, हत्याकांड  पुरे 21 साल के बाद सन 1940 में उन्होंने डायर पर गोली चलाके अपना बदला पूरा किया, इस हत्या के लिए सन 1940 में  उधम सिंह को लंडन  में  फांसी की सजा दी गई थी

    देशप्रेमी उधम सिंह के इस बलिदान को देश के हर नागिरक ने सम्मान किया ,और साल 1952 में उधम सिंह को  जवाहर लाल नेहरू जी ने शहीद का दर्जा दिया था

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    उम्मीद करता हु दोस्तों आपको  ये छोटीसी  जलियांवाला बाग हत्याकांड पूरी कहानी । Jaliya Wala Bag Hatyakand in Hindi । जानकारी पसंद आई होगी. 

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