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Chandragupta Maurya : सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास हिंदी जानकारी

 भारत देश के इतिहास में कई शुर वीर योद्धा आये जिनोहने कई साम्राज्य खड़े किये उन्हिमेसे एक योद्धा (Chandragupta Maurya) सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य  का इतिहास जानिए इस हिंदी लेख में 

मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त को भारत का सर्वश्रेष्ठ शासक माना जाता है, जिन्होंने कई वर्षों तक शासन किया। चन्द्रगुप्त मौर्य वह शासक था जो पूरे भारत को एकजुट करने में कामयाब रहा, उसने अपने दम पर पूरे भारत पर राज किया। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपना शासन कश्मीर से दक्षिण में दक्खन तक, पूर्व में असम से पश्चिम में अफ़गानिस्तान तक बढ़ाया। भारत के देश के अलावा, चंद्रगुप्त मौर्य ने पड़ोसी देशों में भी शासन किया। चंद्रगुप्त मौर्य के बचपन के बारे में कोई नहीं जानता है। कहा जाता है कि वह मगध के वंशज थे। चंद्रगुप्त मौर्य अपनी युवावस्था से एक बुद्धिमान व्यक्ति थे, उनके पास वास्तव में एक सफल शासक का पूरा गुण था, जिसे चाणक्य ने मान्यता दी और उन्हें राजनीतिक और सामाजिक शिक्षा दी जानिए सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास


# चन्द्रगुप्त मौर्य ( Chandragupta Maurya ) का जीवन परिचय 

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पूरा नाम              :-            चन्द्रगुप्त मौर्य ( Chandragupta Maurya )

जन्म                     :-            340 BC, पाटलीपुत्र, बिहार

माता-पिता      :-            नंदा, मुरा

पत्नी                      :-            दुर्धरा

बेटे                       :-      बिन्दुसार

पोते                    :-           सम्राट अशोक, सुशीम

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# चन्द्रगुप्त मौर्य ( Chandragupt maurya) का बचपन 

कहा जाता है कि चंद्रगुप्त मौर्य का जन्म 340 ईसा पूर्व में मौर्य वंश में हुआ था। चन्द्र गुप्त मौर्य की माता का नाम मुरा था। दूसरों का कहना है कि वह मयूर तोमर की मोरिया जनजाति के थे। ऐसा कहा जाता है कि वह जन्म से गरीब था, उसकी पीता नंदों की सेना में एक अधिकारी थी, जिसे किसी कारणवश नंदों ने मार दिया था। उनके पिता का जन्म उनके जन्म से पहले ही हो गया था। जब चंद्रगुप्त 10 वर्ष के थे, तब उनकी माता मुरा का भी देहांत हो गया और तब से उनका पालन-पोषण आचार्य चाणक्य ने किया।

जानिए सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास : History of Chandragupt Maurya


# जानिए कैसे चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य को अपना गुरु माना ( छोटीसी कहानी )


चाणक्य नंद वंश को नष्ट करना चाहते थे,  लेकिन चाणक्य के पास बुद्धि तो थी लेकिन उन्हें एक  शुर योद्धा की तलाश थी , में एक दिन चाणक्य जंगल में जा रहे थे , तभी वह कुछ बच्चे खेल रहे थे उनमे चन्द्र (चंद्रगुप्त मौर्य) भी शामिल  थे , तभी आचनक जंगल में चिता आता है , डर के कारण सभी बच्चे भाग जाते है ,लेकिन चन्द्र (चंद्रगुप्त मौर्य) जो की चाणक्य और चीते के बिच खड़ा रहता है , और चीते को मार गिराता है ।

तभी छोटे बालक की वीरता को  देखकर चाणक्य, चन्द्र को अपना शिष्य बना देते है और उसे शस्त्रविद्या और राजनीती का पाठ पढ़ने लग जाते है।

दूसरी ओर, चंद्रा को एक बुद्धिमान शिक्षक की भी जरूरत थी, जो समय-समय पर उन्हें उचित मार्गदर्शन दे सके इसी कारण चंद्रगुप्त मौर्य ने  चाणक्य को अपना गुरु मान लेते है।

धनानंद ने पहलेही चन्द्र की माता का अपमान किया था और चाणक्य के पिता का वध किया था , इसी कारन चन्द्र और चाणक्य का एक ही लक्ष बन गया था  की वे "धनानंद का अंत करेंगे" 

बता दें कि दोनों ने मिलकर सेना तैयार करने के साथ ही मगध पर आक्रमण कर दिया था, लेकिन इस युद्ध में उन्हें असफलता हाथ लगी थी, जिसकी वजह से दोनों ही वहां से भाग निकले थे।


# पूरी रणनिति के साथ चंद्रगुप्त मौर्य ने किया मगध पर आक्रमण  ( War Between Chandragupt maurya and Dhananand )


हार से बचने के बाद, चंद्रा ने एक रणनीति तैयार की। जिसके बाद वह धीरे-धीरे मगध में प्रवेश करने लगा। आपको बता दें कि चंद्रा ने राज्य सीमा से अपनी विजय शुरू की, जिसके बाद कई जिलों में और कई राज्यों पर विजय प्राप्त करते हुए , मगध पर आक्रमण किया। 

आपको बताते चलें कि चंद्रगुप्त मौर्य (चंद्रगुप्त मौर्य) ने सभी जिलों को जीत लिया, इसलिए इसे कई राज्यों का भरपूर समर्थन मिला। ऐसी स्थिति में उसकी शक्ति और भी अधिक बढ़ गई। बाद में चंद्रा ने मगध पर हमला किया, तब नंदा वहां से भाग गया, लेकिन राज चंद्र ने वहां शिकार करना शुरू कर दिया, धीरे-धीरे नंदा की तलाश शुरू हुई, फिर चंद्रा ने उसे भी मार डाला। इस प्रकार  चंद्रगुप्त ने मघद  शासन को उखाड़ फेंका और मौर्य वंश की स्थाप‍ना की । तब चंद्रगुप्त मौर्य सिर्फ 25 साल के थे ।


# चन्द्रगुप्त मौर्य और सिकन्दर के बीच युद्ध  ( War Between Chandragupt maurya and Alexander )


"माना जाता है जो जीता वही सिकंदर " लेकिन इतिहास के पन्ने सिकंदर के लिए उलटे थे , सिकन्दर एक योद्धा था जिसने बड़े बड़े देशो पर जित हासिल की थी , भारत देश के पंजाब और तक्षशिला में भी सिकंदर ने जित हासिल की थी। जहा सिकन्दर ने  पोरस को हरा दिया था।

पोरस को हराने के बाद पंजाब में सिकंदर सन्धि करने के लिए चन्द्रगुप्त मौर्य से मिले । लेकिन चन्द्रगुप्त मौर्य ने सन्धि करनेसे इनकार कर दिया। सिकंदर को चन्द्रगुप्त का विचार पसन्द न आने के कारण ,सिकन्दर ने चन्द्रगुप्त मौर्य का वध करने का आदेश दे दिया, लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य अपनी कूटनीति से बच गए और सिकंदर से बदला लेने के रणनीति में जुट गये थे। लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य जानते थे की ,सिकंदर की विशाल सेना का सामना उनकी छोटी सेना नहीं कर सकती थी । लेकिन चंद्रगुप्त मौर्य को अपनी सेना की क्षमताओं पर पूरा भरोसा था। पहाड़ियों और जंगलों में होने के कारण, उनकी सेना पहाड़ियों और जंगलों में लड़ने में माहिर थी और जंगल के जंगलों से भी वाकिफ थी, जबकि सिकंदर की सेना जंगल के रास्तों से अनजान थी।

चंद्रगुप्त मौर्य ने इसका फायदा उठाया जब सिकंदर  अपनी सेना के साथ पंजाब के जंगलों से होते हुए उत्तरी भारत में प्रवेश किया, तभी चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी सेना से हमला किया और सिकंदर को निशाना बनाया। चंद्रगुप्त मौर्य ने सिकंदर को एक जहरीले तीर से मारा जो सिकंदर के सिने में लगा और सिकंदर घायल हो गया और गिर गया।  घायल सिकंदर आपनी सेना  को लेकर वापस लौट गया।

बान का जहर सिकन्दर के शरीर में धीरे-धीरे फैलता गया । यूनान लोटते वक्त बगदाद के पास बेबीलोन में फैलते विष के कारण 323 ई पु सिकन्दर की मृत्यु हो गई।


# चंद्रगुप्त मौर्य  का विवाह 

 चंद्रगुप्त मौर्य की तीन पत्नियाँ थी । उनकी प्रथम पत्नी का नाम "दुर्धरा" था जिसकी कोक से 'बिन्दुसार' का जन्म हुआ । आपको बता दें कि सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस ने भारत पर आक्रमण किया था, लेकिन इस युद्ध में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। यही नहीं, उसे चंद्रा के साथ अपमानजनक संधि भी करनी पड़ी। चंद्रा को अपनी बेटी "हेलेन" को देना पड़ा, जो की चन्द्रगुप्त मौर्य की दूसरी पत्नी थी । कहा जाता है उनकी एक तीसरी पत्नी भी थीं जिसका नाम नाम "चंद्र नंदिनी" था।


# चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु ( Death Of Chandragupt Maurya )

चन्द्रगुप्त मौर्य जब 50 साल के थे तब उनका झुकाव जैन धर्म की ओर अधिक था। वह अपने पुत्र बिंदुसार को अंतिम बार राजपाट देकर जैनाचार्य भद्रबाहु की दीक्षा लेकर उनके साथ श्रवणबेलगोला (मैसूर के पास) गए। और उन्होंने ए 297  में अपना जीवन चंद्रगिरि पहाड़ी पर बिताया वहा उनकी भुखमारी के कारण मृत्यु हो गई ।

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उम्मीद करता हु दोस्तों आपको  ये । Chandragupta Maurya : सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का इतिहास हिंदी जानकारी । छोटीसी जानकारी पसंद आई होगी. 

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