अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं । Characteristics of a Good Speaker in hindi

अक्सर हम  सार्वजनिक जगह पर तथा स्कूल में किसी अध्यक्ष को मंच पर श्रोंताओ से संवाद करते हुए देखते है। जोकि पुरे आत्मविश्वास के साथ भाषण देते हुए नजर आते है। आज इस पोस्ट में एक अच्छे वक्ता की विशेषताएं तथा एक अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं कोनसी है इसके बारे में जानकारी बताई गई है। जब सार्वजनिक जगह पर बोलने की बात आती है, तो अक्सर लोग घबरा जाते है । किसी भी नये वक्ता को शुरुवाती समय में सार्वजनिक रूप से बोलते समय घबराहट होना यह स्वाभाविक है। इस पोस्ट में, एक कुशल वक्ता कैसे बने तथा अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं क्या होती है जिसके वजह से वे श्रोताओं के मन जित लेते है इसके बारे में विस्तार से बताया गया है, तो आइये जानते है । Characteristics of a Good Speaker in hindi

अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं, अच्छे वक्ता की विशेषताएं, Characteristics of a Good Speaker in hindi
अच्छे वक्ता की विशेषताएं (Characteristics of a Good Speaker in hindi)



    अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं। अच्छे वक्ता की विशेषताएं

    यदि आप एक अच्छे वक्ता बनाना कहते है, तो एक अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं जानना आपके लिए बेहद जरुरी है। निचे एक अच्छे  वक्ता की विशेषताएं के बारे में विस्तार से जानकारी बताई गई है जिसकी मदत से आपको एक अच्छे अध्यक्ष बनने में मदत मिलेगी। तो आइये जानते है Characteristics of a Good Speaker in hindi। 

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    9 Characteristics of a Good Speaker in Hindi

    1. आत्मविश्वास (Self-confidence)

    अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं में आत्मविश्वास का होना महत्वपूर्ण होता है। जब सार्वजनिक जगह पर बोलने की बात आती है, तो दिमाग के साथ साथ खुद पर आत्मविश्वास होना बेहद महत्वपूर्ण होता है एक वक्ता को किसी भी विषय पर भाषण देने के लिए खुदपर आत्मविश्वास होना बेहद जरुरी होता है। मन में आत्मविश्वास होना यह एक सकारात्मक उर्जा प्रदान करता है। इसके लिए एक ही चीज का बार बार सराव करने से “मैं यह काम कर सकता हु” ऐसा मजबूत आत्मविश्वास मन में उत्पन्न होता है और किसी भी कार्य को धेर्य के साथ करने की हिम्मत आत्मविश्वास द्वारा प्रदान होती है। यदि कोई अध्यक्ष तथा वक्ता का आत्मविश्वास मजबूत है, तो वेह बड़ी आसानीसे श्रोताओं के मन जित सकता है।


    2. जोश (Passion)

    एक अच्छे वक्ता की विशेषताएं जितनी बताई जाये उतनी कम है जूनून यह उनमेसे एक है किसी भी व्यक्ता को भाषण के माध्यम से लोगों में संवाद करने के लिए, अपने विषय के बारे में जुनून होना बेहद जरुरी होता है । जोश के बिना आपकी वाणी निरर्थक है जिसके चलते लोग आपका भाषण सुनने में रूचि नहीं दिखाते हैं। यदि आप चाहते हैं कि वे आपके भाषण से प्रभावित हों, ऐसे में अपने दर्शकों से संवाद करते समय आपको अपनी भावनाओं में ईमानदारी के शब्द को प्रकट करने की आवश्यकता है। अपने विषय के बारे में जुनून दिखाने के लिए आपको उस विषय की गहराई से जानकारी और उन चीजों को खोजने की ज़रूरत होती है। यदि किसी वक्ता को अपने विषय के बारे में पूरी जानकारी है, तो संवाद करने का जोश अपने आप उत्पन्न होता है।


    3. उत्साह (Enthusiasm)

    एक अध्यक्ष को अपने विषय के प्रति भाषण देने का उत्साह होना बेहद जरुरी होता है। अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं में उत्साह एक अहम भूमिका निभाता है यदि आप वास्तव में किसी विषय को लेकर उत्साहित हैं, तो अपनी प्रस्तुति देते समय आपके मन में जो भी घबराहट होगी, उसमें वह भावना चमक उठती है। क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि जो लोग अपनी घबराहट को उत्साह के रूप में बदल देते हैं, वे अपनी प्रस्तुति देते समय अधिक सहज महसूस करते हैं।

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    4. प्रामाणिकता (Authenticity)

    यदि भाषण देते वक्त आपको अपने लिखित प्रस्तुति से थोड़ा विचलित होना है, तो आप ऐसा कर सकते है।  परंतु यदि आप इसे याद नहीं करना चाहते हैं, ऐसे मे जितनी बार संभव हो अपने भाषण को अच्छे से समझकर अभ्यास करना चाहिए, ताकि वास्तविक में भाषण देते वक्त यदि आप लड़खडाते है एसे मे भाषण को संभालने में आसानी होगी। हालाँकि यदि आपने भाषण को सिर्फ रट्टा मारके याद किया है तथा कुछ शब्द भूल जाने के कारन आप इसे ठीक से प्रस्तुत नहीं कर पाये, तो भरी सभा में गड़बड़ी हो सकती है। इसीलिए भाषण में प्रामाणिकता बनाये रखने का प्रयास करे।

    यदि सार्वजनिक जगह पर बोलने में उत्कृष्टता प्राप्त करनी हो तो अपने घबराहट को हराने के अलावा और भी बहुत कुछ करना चाहिए, जैसे आपको अपने विषय पर पूरा भरोसा होना चाहिए और जब आप मंच पर हों तो स्वयं में पूर्ण आत्मविश्वास और प्रमाणिकता होनी चाहिए।

    ज्यादा उठी हुई आवाज और हाथ लहराते हुए अपने भाषण का अभ्यास करने की कोई आवश्यकता नहीं है। बस इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि, जिनके साथ आप संवाद कर रहे हैं उनके साथ आप अपने विषय के बारे में खुलकर बात करके कैसा महसूस करते हैं। 


    5. वास्तविकता  (Be Yourself)

    मंच पर भाषण देते वक्त आपको किसी अन्य व्यक्ति की जरूरत नहीं होनी चाहिए, बल्की आपको खुद में वास्तविकता बनाये रखकर भाषण को पूरा करना चाहिए। कभी कभी आप अपने भाषण पर कितना भी विश्वास करे तथा आपने भाषण की  कितनी भी अच्छी तरह से तैयारी  कि हो परंतु इसके बावजूद भी यदि आप सबके सामने अपनों जैसा व्यवहार नहीं कर पाते है, तो आपके दर्शक आपके भाषण को “पहले से सोचा हुआ” तथा “कपटी” के रूप में देखने देख सकते है।  

    इसे कुछ उदहारण से समझते है; जैसे यदि कोई राजनीतिक उम्मीदवार प्रामाणिक नहीं लगता है, तो वे उम्मीदवार को चुनाव जीतने की संभावना कम हो जाती है। ठीक उसी तरह किसी कंपनी की व्यवहारिक रणनीति अप्रामाणिक लगती है, तो उनकी बिक्री नहीं बढ़ेगी। ठीक यह बात वक्ता पर भी लागु होती है, इसीलिए भाषण देते वक्त खुद में और विषय में वास्तविकता बनाये रखना बेहद जरुरी होता है।


    6. अधिकतम सराव (Practice)

    एक वक्ता को भाषण प्रस्तुत करते समय 'स्वयं होने' के लिए, भाषण को पूर्ण रूप से याद नहीं करना चाहिए। हालाँकि जितनी बार संभव हो, अपने भाषण का अभ्यास करें, लेकिन वक्त पर शब्दों को बदलने की तैयारी भी होनी चाहिए। ताकि भाषण देते वक्त यदि चीजें योजना के अनुसार नहीं चल रही हैं, ऐसे मे वास्तविक भाषण प्रस्तुत के दौरान शब्दों को बदलने में आसानी हो सके। इसके विपरीत यदि आप भाषण को ‘जैसे का वैसा’ याद करते है, तो आपके और आपके दर्शकों के बीच दूरियां स्थापित हो सकती है।


    7. प्राकृतिक स्वर (Natural voice)

    एक वक्ता को भाषण देते वक्त अपने (Natural voice) प्राकृतिक आवाज में ही बात करनी चाहिए। कई बार अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए वे बेहद चिल्लाते हुए जोर-जोर से भाषण देते है, जोकि जबरजस्ती के नकली स्वर लगने लगते है जोकि आपके द्वारा अपने दर्शकों के साथ बनाये गये सम्बंध को खराब करने में सहायक होते है। इसीलिए सामान्य तौर पर, आपको अपने दैनंदिन स्वर में बोलने की कोशिश करनी चाहिए। हालाँकि यदि भाषण प्रस्तुत करते समय आप कुछ "आह" और "उम" कहते हैं, तो ठीक है, यह एक आम बात है।


    8. भाषण में मिठास 

    यदि आपको भाषण देने के लिए केवल 30 मिनट का समय दिया जाता है, तो केवल भाषण में अपने आप को पूरा समय भरने के लिए मजबूर न करें। हालाँकि ‘इसके बारे में आपका क्या कहना है” यह बात बोलकर बचे हुए समय का उपयोग दर्शको के प्रश्नों के लिए करे तथा अपने दर्शकों को बिषय से थोड़ा जल्दी बाहर करने के लिए करें। ताकि दर्शको में सुनने की रूचि बनी रहे।

    भाषण देने का मुख्य उद्देश्य अपनी बात मनवाने का प्रयास करना है, और इसके लिए पूरे एक घंटे की आवश्यकता नहीं हो सकती है। आप केवल इस बात की पुष्टि करे की, आपका भाषण सुनने वाले दर्शको में भाषण के प्रति दिलचस्पी उत्पन्न हो। यदि आप अपना भाषण 15 मिनट में पूरा कर सकते हैं, तो यह एक उत्तम बात है, क्योंकि बचा हुआ अन्य समय प्रश्नों और टिप्पणियों के लिए खुला छोड़ दें 

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    9. अपने दर्शकों से जुड़ें रहना  

    भाषण एक संवाद की तरह होता है, जिसका मक्सद आपको अपने भाषण द्वारा दिए गये संदेश के माध्यम से किसी अन्य लोगो को प्रेरित करने की आवश्यकता होती है। इस प्रकार से बात करने में कोई अंतर नहीं है, चाहे फिर वह केवल एक व्यक्ति हो तथा एक हजार लोग हो। 

    हालाँकि, समस्या यह है कि भाषण देने वाले वक्ता को कम समय में दर्शको को अधिक जानकारी देने के लिए अधीन होना पड़ता हैं, इसके आलावा एक वक्ता के रूप में दर्शको के शोर को कम करना और यह साबित करना मुश्किल हो सकता है कि, जो आप कह रहे हैं वह वास्तव में मायने रखता है।

    जब आप भाषण द्वारा लोगो से संवाद करते है उस दौरान अक्सर कुछ लोग अपने मोबाइल तथा टेबलेट में व्यस्थ रहते है। अब यह आपका काम है कि, उन्हें अपने मोबाइल उपकरणों से ध्यान भटकाकर आपको जो कहना है उस पर वे अपना ध्यान केन्द्रित करे।

    ध्यान रहे, आप उन्हें फोन बंद करने के लिए नहीं कह सकते हैं, लेकिन आप श्रोताओं को उत्साहित और आकर्षित करने वाला माहौल बनाकर उन्हें फोन से दूर कर सकते हैं। ताकि वेह सिर्फ आपकी बात पर ध्यान केन्द्रित करे।


    अपने दर्शकों से जुड़ने के सर्वोत्तम तरीके हैं

    श्रोताओं का प्यार ही एक अध्यक्ष तथा एक वक्ता हो आगे बढ़ाने में सहायक होता है इसलिए एक वक्ता को अपने दर्शको के साथ अच्छे सम्बंद बनाये रखना बेहद जरुरी होता है, आइये जानते है आप किस प्रकार से अपने दर्शको के साथ जुड़े रह सकते है.

    • शुर-वीरो की कहानियां सुनाएं
    • अपने लक्षित दर्शकों से सतर्क रहें
    • दर्शक तथा श्रोताओं की उर्जा को पहचाने 
    • खुद का हसी-मज़ाक उड़ाने के लिए तैयार रहें
    • अपनी रागात्मक भाषा पर काम करें
    • कहानी के माध्यम से वास्तविकता बताये 

    कहानी यह उनमेंसे है जो वास्तव में श्रोता के मन में बस जाती है। कहानीयाँ दुनिया में सबसे आसानीसे समझी जाने वाली और फिर से बताने वाला संचार माध्यम है। इसलिए कहानीकार बनके कहानियाँ बताना यह अपने दर्शकों को वास्तव में शामिल करने का सर्वोत्तम तरीकों में से एक अच्छा तरीका है। कहानी सुनाना यह एक शक्तिशाली उपकरण है जिसका उपयोग सर्वश्रेष्ठ वक्ता करते हैं।

    हालाँकि अपना भाषण लिखते समय, इस बारे में जरुर सोचें कि श्रोताओं का मन जितने के लिए आपको क्या कहना है, जिससे आपके दर्शक समझेंगे और आपसे अधिक जुड़ पाएंगे।

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    एक अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं विडियो के माध्यम से जाने 

    आज आपने क्या सिखा ?

    जैसा की आपने अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं (Characteristics of a Good Speaker in hindi) के बारे में जाना। एक अच्छा अध्यक्ष तथा एक सफल वक्ता अपने संवाद के माध्यम द्वारा श्रोताओं में अपने प्रति विश्वास की भावना जागरूक करने का प्रयास करता है, जिससे आपके साथ और दर्शक जुड़ सके। आपके और दर्शकों के बीच संबंध ही उन्हें आपके संदेश को वास्तव में सुनने और प्रेरित होने की अनुमति देता है।

    एक शक्तिशाली सार्वजनिक वक्ता बनने के लिए बहुत अभ्यास और अनुभव की आवश्यकता होती है, हालाँकि कुछ विशेष वक्ताओं का अनुकरण करके तथा उनसे प्रेरणा लेकर आप अधिक प्रेरक और अधिक प्रभावशाली बन सकते हैं। जैसे दीपक चोप्रा, संदीप माहेश्वरी, विवेक बिंद्रा, प्रिया कुमार आदि वक्ता भारत के प्रमुख है जिनसे आप प्रेरित हो सकते है।


    उम्मीद करता हु दोस्तो हमारा लिखा गया यह पोस्ट “अच्छे अध्यक्ष की विशेषताएं । अच्छे वक्ता की विशेषताएं । Characteristics of a Good Speaker in hindi” आपको जरुर पसंद आया होगा, आप किस व्यक्ति को एक अच्छे वक्ता के रूप में देखते है, कृपया आपनी राय कमेंट में बताये। 


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